हर शेर तो दो धारी तलवार होता है।
कौन कहे कहां इसका वार होता है।।
छोटी बहर का या हो बड़ी बहर का।
काम तमाम बखूबी हर बार होता है।।
झुका कनखियों हंस कर जो फेंका तीर तो।
हो चाहे वो संग*दिल पर आर-पार होता है।। *पत्थर
उथला-उथला सा जिस्म तक जो सिमट जाए।
भला कहो ये उनमान*भी कहां प्यार होता है।।
*प्रस्तावना
बेवा की टूटी चूड़ियों या ख्वाब सा नाजुक। हर शेर खुद में बड़ा अजब कुम्हार होता है।।
महज मिसरे दो खोलते राज कायनात के। "उस्ताद"असल फन तो कलमकार होता है।।
I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Thursday, 30 May 2019
151-गजल
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment