Monday, 13 May 2019

137-गजल

उसकी यादों से लचक जाता है वो।
यूं सच तो है कि बहक जाता है वो।।
गुलमोहर की तरह खिला देख उसको।
खुद सुखॆ गुलाब सा गमक जाता है वो।।
वो न मिले अगर करके वादा कभी तो। उससे कहां?खुद से बिदक जाता है वो।।
यूं जब तलक रहती है उम्मीद मिलने की। लो भीतर ही कई बार चहक जाता है वो।।
मां के आंचल की नमी से पिघल कर।
बच्चों सा अक्सर सिसक जाता है वो।।
कहा कहां जाता है हर बात को जबान से। आंख में नासमझ तभी खटक जाता है वो।।
बिखेर कदमों में"उस्ताद"के अपना वजूद।
हीरे सा दिलों में सबके चमक जाता है वो।।

No comments:

Post a Comment