Tuesday, 14 May 2019

138-गजल

ठोक बजाकर परखिए पूरे इत्मिनान से।
ऐसे न तौलिए हुजूर बस एक अनुमान से।।
हम तो हैं सोने से सौ टके खरे हर हाल में।
डर कहां तपेंगे आग में बेहिचक शान से।।
काट दे सर तलवार से चाहे कोई हमारा।करते कभी सौदा नहीं अपन ईमान से।।
हम तो हैं बन्दे सभी उस एक नूर के।
है फिर भेद क्यों इंसान का इंसान से।।
फासलों की सड़ी बू भी मिट जाएगी।
महक उठेंगे जो गुल तेरी जुबान से।।
हर गाम*बदलता है जब वक्ते मिजाज।*कदम
रहते हो भला क्यों तुम सदा परेशान से।।
रख के आईना खुद से हिसाब लेते हैं हम।
डरते नहीं कभी"उस्ताद"किसी इम्तिहान से।।
@नलिन#उस्ताद

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