Thursday, 4 August 2022

आजादी का अमृत महोत्सव

भगत शिरोमणि सन्त
तुलसीदास जी महाराज को उनके पावन-पुनीत जन्म दिवस पर "आजादी के अमृत महोत्सव" पर सादर काव्यांजलि  समर्पित है।आपकी एक कालजयी रचना "श्रीरामचरितमानस" जी ने भारत के जन-जन  में "पराधीन सपनें सुख नाहीं" का जो अप्रतिम  अमूल्य योगदान भरा उसका स्मरण  अभिनन्दन  करते हुए।
🙏🥰🚩जय श्रीराम।। जय हनुमान।।

राष्ट्र की "आजादी के अमृत-महोत्सव" का देखिए, श्रीगणेश हो रहा। 
जन-जन की चेतना में,गरिमामयी अतीत का नवबोध हो रहा।।

अपना रक्त-स्वेद बहा,परतंत्रता की बेड़ियों को जिन्होंने काट डाला।
आज उन समस्त राष्ट्र-भक्तों का,कृतज्ञ-भाव से स्मरण हो रहा।।

जिस दीर्घ दासता ने लोप कर दी थी,हमसे ही हमारी   तेजस्वी गरिमा।
उसकी ही पुनर्प्रतिष्ठा को,नव-उमंग से सृजन का प्रयास हो रहा।।

वसुधैव-कुटुंबकम की युगों से,चली आ रही जो अपनी उदात्त भावना।
सबके मंगल कल्याण हेतु,उसी जयघोष का समवेत आवाह्न हो रहा।।

घर-घर तक सभी के विकास की,गंगा सतत निर्बाध बहती रहे।
जाति,पंथ,सम्प्रदाय से भरा पथ,बंधनों से मुक्त अब समतल हो रहा।।

ज्ञान की जो,अपरिमित थाती रही थी हमारी,युगों-युगों से सदा ही। 
उसे ही संवारने,वृहद "राष्ट्र-यज्ञ" का संचालन,प्रति श्वास अब हो रहा।।

नव कीर्ति की स्थापना संग,"स्वर्ण-हंस" बने फिर से, अपना भारत महान।
शांति,प्रेम,त्याग की मधुर धुनों के संचार से,हर हृदय जागृत हो रहा।।

नलिनतारकेश

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