Thursday 18 August 2022

448:ग़ज़ल

कृष्णजी के जन्मदिन पर सभी को बधाई ।
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सांवली निगाहों के जाम जब से पिए हैं।
बुतखाने में देखिये बुत बने हम खड़े हैं।।

जुल्फों की गिरफ्त में जबसे घिरे हैं।
कहने के काबिल कहाँ कुछ रहे हैं।।

आमद की बात सुनी है हमने जबसे।
रात-रात जग कर बस पहरे दिए हैं।।

एक हल्की सी तान सुनी है दूर से आती हुई।
बस उसी धुन पर हम तो मदहोश हो गए हैं।।

जलवों का तेरे जिक्र करें तो करें कैसे भला।
सुन-सुन के किस्से यारब जवान हम हुए हैं।।

एक नूर तेरा ही हर महफिल में रहा है चर्चे का सबब।
हम तो उस्ताद बस तुझ पर जां-निसार करते हैं।।

नलिनतारकेश@उस्ताद

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