Wednesday, 10 August 2022

445:ग़ज़ल

अब तो बस एक तेरी चौखट ही मेरा सहारा है।
वरना तो बता कौन यहाँ मेरा चाहने वाला है।।

सूरज चांद तारों ने तो लिख दिया मेरा नसीब। 
बदल सकता है बस तू अब तेरा ही आसरा है।।

सुनाऊं किससे मैं अपने दर्द ओ गम की कहानी।
हौंसला देकर बस तू ही तो एक सुनने वाला है।।

चरागों को मेरे जब तेल मयस्सर नहीं जलने की खातिर।  भला तेरे सिवा कौन यहाँ मुस्तकबिल बदलने वाला है।।

कमरों की दीवारों में तो अब होने लगी है यार घुटन।
हवामहल में रहने का शौक हमने यूँ ही नहीं पाला है।।

कभी थोड़ी-बहुत हमारी भी सुन लिया कीजिए।
आखिर कहें क्या कुछ हमने आपका बिगाड़ा है।।

"उस्ताद" तुम खामखां कसम से रोते बहुत हो।
देखो टूटी कश्तियों को भी तो वही पार लगाता है।।

नलिनतारकेश @उस्ताद

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