Saturday, 6 August 2022

441:गजल

ख्वाब देखने में ही यूँ तो अपनी सारी जिंदगी गुजर गई।
खुदा का शुक्र है फिर भी अब तलक अच्छी गुजर गई।।

यूँ कहें तो दरअसल एक ख्वाब ही तो है जिंदगी।
दो पल भी ठहरी नहीं चुटकी बजाती गुजर गई।।

कुछ लम्हे को ही ठहर जाए काश कभी इत्मिनान से।
देखते ही देखते पर देखिए जवानी,बुढ़ोती गुजर गई।।

अब पेशानी पर बल देकर हाथ मलने से क्या होगा कहो।
सदाकत*,रफाकत** भरी वो पूरी की पूरी पीढ़ी गुजर गई।।* सच्चाई  **मेलजोल 

होता तो होता कैसे दुनियावी प्यार "उस्ताद" कभी किसी से।
मौसम ए उम्र आने से पहले खुद से ही शनासाई* गुजर गई।।*परिचय 

नलिनतारकेश उस्ताद

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