Tuesday, 30 August 2022

459:ग़ज़ल

दिमाग ज्यादा लगाने की जरूरत नहीं है।
खुश रहने को यार ये कवायद जरूरी है।।

आलिम-फाजिल बनने से भी बात बनेगी नहीं। 
समझना जिंदगी आसान नहीं बड़ी पहेली है।।

किसी भी चौखट पर सजदा थोड़े से फायदे को। 
जनाब ये आदमी की फितरत तो बहुत पुरानी है।।

आओगे कभी तो तुम तकदीर में हजार रंग भरने। 
बस इसी उम्मीद में दरअसल जिन्दगी चल रही है।।

तुझमें मुझमें है फर्क कहाँ बता तो "उस्ताद" मेरे।
दिलों में जब हमारे एक दूजे की तस्वीर छपी है।।

नलिनतारकेश @उस्ताद 




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