Wednesday, 21 May 2014

अभी है वक्त  .... 


जागने से  इन्सान तब क्या होगा
चिड़ियाँ चुग लेंगी जब खेत तेरा।
अभी है वक्त कुछ थोड़ा बचा हुआ
माँ प्रकृति की लाज़ रख ले जरा।।
जागने से इंसान क्या होगा  ....

हरे-भरे पेड़ बनते  हैं ताकत तेरी
अपनी ताकत तो जरा पहचान ले।
इनसे मिलती छाया, भोजन,औषधि
यही सोच इन्हें कटने से बचा ले।।
जागने से इंसान क्या होगा  ....

बहती नदियां भरती खुशनुमा रंग ऐसे
सन्यासी, यात्री, रोगी यहाँ खुश रहते।
पानी की हर बूँद सदा अमृत समाये
यही सोच इन्हें साफ़-सुथरा बना ले।।
जागने से इंसान क्या होगा  ....

धुँआ,कोयला,राख सारे के सारे
धड़-धड़ चलती मशीनों की आवाजें।
धरती माँ के घावों को और बढ़ाते
यही सोच इन्हें तू सीमित कर ले।।
जागने से इंसान क्या होगा  .... 

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