Sunday 11 May 2014

लघुकथा-1, 2

                         
                                                  डाकू और मंत्री

एक गांव में डाका पड़ा था। खून-खराबा, लूट-पाट  .... ।  विपक्ष ने इस मामले को खूब उछाला । विपक्ष के बड़े नेताजी ने  दावे के साथ कहा कि डाकुओं द्वारा कुछ लडकियों के साथ बलात्कार भी किया गया है। इसलिए उन्होंने मुख्यमंत्री के इस्तीफ़े की माँग भी ऊँचे स्वर में उठाई। मुख्यमंत्री जी इन खबरों से बड़े उखड़े। तुरंत घर में बने तहखाने में डाकुओं के सरदार से मिले। सरदार ने कहा, साहिब अपना भी कुछ ईमान है। अपना गिरोह ऐसी ओछी हरकतें नहिं करता, और फिर बिना आपके हुक्म  ..... ।मुख्यमंत्री जी आश्वश्त हुए और वापस अपने एयर-कंडिशन्ड रूम में आकर कोने में सजीं गुलाब की कली मसलने लगे।

                                                   सांप -सीढ़ी

अड़ोस-पड़ोस के दो-चार बच्चे सांप-सीढ़ी खेल रहे थे। रामु की बारी आई, रामु ने पासा उछाला। गोटी आये हुए नंबरों के हिसाब से आगे बढ़ी। लेकिन ये क्या? गोटी तो सांप के मुंह में। अब तो गोटी को फिर नीचे उतरना पङेगा, किन्तु रामु के चेहरे पर शिकन नहीं आयी, वह चुपचाप जेब से निकाल कर सांप के मुंह में भारत सरकार की सफ़ेद गोटियां डालने लगा। धीरे-धीरे सांप सीढ़ी में बदल गया। 

No comments:

Post a Comment