Saturday, 5 April 2014

राम- तुम्हारा उपकार

राम- तुम्हारा उपकार
 दर्द का यह सैलाब।

 कराता है तुम्हारा ही स्मरण
छण-छण ,प्रतिपल।

कुछ और नहीं सूझता
अंधकार को जो दे विराम।

केवल एक तुम्हारा ही नाम
राम-राम बस एक राम।

यही एकमात्र  आधार
मुझमें भरता आत्मविश्वास।

घटाटोप अन्धकार भी हटेगा
 मेरा रूठा मीत  मिलेगा।

भानु शिरोमणि अपने प्रकाश से
उर"नलिन"खिला देगा।

हर संताप मिटा देगा
रोम-रोम महका देगा।

तेरी अमृत सुवास से
अक्षय वट बनेगा जीवन।

बहेगा-निर्मल आनंद
हर पल,हर छण निरंतर। 




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