Tuesday 29 April 2014

आओ हम राष्ट्र-यज्ञ करें




















यज्ञ करें,यज्ञ करें,आओ हम मिल-जुल  राष्ट्र-यज्ञ  करें।
दृढ़ विश्वाश,संकल्पित होकर,आओ मिल राष्ट्र यज्ञ करें।।

मानवता के मंत्रोचारण
मन-प्राणों की समिधा हो।
ज्योतिर्मयी राष्ट्र-प्रेम की अग्नि
अभिनन्दित हो, आह्वानित हो।

यज्ञ करें,यज्ञ करें,आओ हम मिल-जुल  राष्ट्र-यज्ञ करें  ....

जात-पात,ऊँच-नीच के स्वाहा
एकता,अखण्डता की वेदिका हो।
अप्रितम राष्ट्र-भाषा की देवी
सम्मानित हो,प्राण-प्रतिष्ठित हो।

यज्ञ करें,यज्ञ करें,आओ हम मिल-जुल  राष्ट्र-यज्ञ  करें  …

हिन्दू,सिख,ईसाई,मुसलमां
यहाँ बड़ा न कोई छोटा हो।
सब जन भारत के वासी
समृद्धित हों, उल्लासित हों।

यज्ञ करें,यज्ञ करें,आओ हम मिल-जुल  राष्ट्र-यज्ञ  करें  ....

यज्ञ का कर्म चले निरन्तर
घर,विद्यालय या दफ्तर हो।
जीवनदायक कर्म-प्रसादी
वितरित हो,सेवित हो।

यज्ञ करें,यज्ञ करें,आओ हम मिल-जुल  राष्ट्र-यज्ञ  करें।
दृढ़ विश्वाश,संकल्पित होकर,आओ मिल राष्ट्र यज्ञ करें।।







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