Monday, 28 April 2014

तुलना 

















सांप से तुलना, मानव की 
अरे यह क्या ?
मानव महान की तुलना 
अदने सर्प - जीव से। 
सांप - डरपोक, दब्बू
 छुप कर  चलता है 
उस पर भी कोई छेड़े 
तो कभी भूल से 
शायद काटता है। 
पर मानव-बुद्धिजीवी 
बेबात,बिना छेड़ने पर भी 
काट लेता है। 
सुनते हैं - सांप का काटा 
पानी नहीं मांगता 
लेकिन आदमी का  काटा 
मर के भी मर नही पाता। 
शायद मेरे ख्याल से 
सर्प - समुदाय 
कुछ तेज़ सांपों को 
जो मुखिया या प्रधान हों 
विभूषित करते होंगे 
पदवी से आदमी की। 
केंचुली - हाँ यह बात 
मिलती अवश्य है 
दोनों ही बान्धवों में 
कि सांप भी 
और मानव भी 
केंचुली बदलते हैं 
चाहे गति पुनः 
बदलने की केंचुली 
मानव की ही अधिक हो। 


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