Sunday 28 May 2023

534: ग़ज़ल:-हमें नचा कर

हमें नचा कर ही तुम अगर खुश होते हो तो खुश रहो। 
वरना तुमको तो पता अपना हर एक हाल है पर चलो।।  
 
हमें आता नहीं,जिंदगी की बेढब धुनों पर नाचना।
हमें ऐतराज़ भला क्यों,जब बागडोर थामे तुम हो।।

नलिन खिलखिलाते हैं यहाँ से वहाँ कायनात में। 
तुम मुस्कुराते जब प्यार से एक नजर देखते हो।।

रजामंदी के सिवा चारा कुछ है नहीं अपने पास सच कहें।
जो यह सच है अगर तो लेना ये हमारा इम्तहान बंद करो।।

अपना कुछ जब है ही नहीं तो कहो गुरूर हम क्या करें।
बड़ी जादूगरी से "उस्ताद"तुम चलते अपनी चाल को।।                                
नलिनतारकेश @उस्ताद 

No comments:

Post a Comment