Friday, 5 May 2023

ग़ज़ल:515:-दुआ मांगता है

  उम्र हो गई हमारी हमें अच्छे से पता है।                            मानता नहीं दिल बस यही एक खता है।।

  देख कर आईना पूछता हूँ कौन हो?                          जवाब उसका सुनना मगर सजा है।।   

 सितारों को टांकने का वादा जमीं पर।                   दोहराना आज भी कहाँ की वफा है।।

 तेरे मेरे दरमियाँ जो हुए खूबसूरत वाकए।                   आज तलक बस वही सुकूं दिला रहा है।।

 कट जाए आगे भी जैसे कटी आज तक।                    खुदा से "उस्ताद" यही दुआ मांगता है।।

नलिनतारकेश @उस्ताद 


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