Thursday, 4 May 2023

514:ग़ज़ल:- पूनम का चांद

बमुश्किल इन्तज़ार के बाद पूनम का चांद दिखता है। 
आने के बाद जो रात का सारा अन्धेरा मिटा देता है।।
जो लड़ता है पूरी जद्दोजहद से मौत के मुँह में जाकर।
यकीनन खुदा भी हर वक्त उसका पूरा ध्यान रखता है।।
हर तरफ है बस एक जलजला सा ये दौर कैसा आया।
तार-तार कोई न कोई हर रोज इंसानियत कर रहा है।।
वक्त आएगा जब कोई फिर से हमारा "राम" आएगा।
इसी मुगालते में हर शख्स यहाँ औंधे सोया पड़ा है।।
"उस्ताद" जो हैं खुद को बताते सारे बुत परस्त हो गए। 
कहो अंधों को फिर यहाँ कौन भला आईना बेचता है।।

नलिनतारकेश @उस्ताद 

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