Wednesday 24 May 2023

530: ग़ज़ल:- मुस्कुराओ

अमां यार आओ जरा तो मुस्कुराओ।
रोनी सूरत को अब छोड़ो,मुस्कुराओ।।

दो जरा सी जुंबिश अपने लबों को तुम।
हाँ बस इन्हें ऐसे ही खोलो,मुस्कुराओ।।

ईज़ाद जब से ये दुनिया हुई है,यूँ ही चली।
सुनो सबकी पर मन की करो,मुस्कुराओ।।

रास्ते में मिलो सबसे या कि एकला चलो।
न दे सको खुशी पर खुद तो,मुस्कुराओ।।

समय बदलते देखा है भला किसने कहो तो।
"उस्ताद" कल की जरा न सोचो,मुस्कुराओ।।

नलिनतारकेश@उस्ताद 



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