Friday, 26 May 2023

532: ग़ज़ल:- जोश से उड़ाते हैं

सवाल जवाब के दौर से हम उबर चुके हैं।
अब हुजूर अपने रश्क-ए-कमर हो गए हैं।।

कट के जो पतंगे आ जाती हैं अपने आंगन में।
सौंप बच्चों को फिर वो भर जोश से उड़ाते हैं।।

चिलमन से जरा बाहर निकल के तो देखिए। 
नई इबारतें कौन-कौन सी लोग लिख रहे हैं।।

हवा,पानी,आग,मिट्टी,आकाश के पुतले हैं हम।
फ़ना हो जायेंगे उन्हीं में क्यों ज्यादा सोचते हैं।।

कयामत की रात तुम्हारी तो जाने कब आए न आए।
हर दिन,हर रात गले "उस्ताद" बस उसको लगाते हैं।।

नलिनतारकेश@उस्ताद 


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