Saturday, 13 May 2023

524:ग़ज़ल:- गुरूर नहीं टिकता

रास्तों की पहचान भला कौन सिखा सकता। 
हां जुनून हो तो हर कदम मंजिल को चूमता।।

होश में रहते हुए भी नशा तारी जरूरी है।
बगैर इसके हिस्से का जन्नत नहीं मिलता।।

तुम आओ तो सही कभी उसकी अंजुमन में।
यहाँ प्यासा खुदा कसम कोई भी नहीं रहता।।

रेशमी हवा पायल बजाते इशारे से बुला रही। 
भला देखने में ख्वाब किसी का क्या लगता।।

सितारों के लिबास ओढ़े तुम इतरा तो रहे हो।
"उस्ताद" यहाँ किसी का गुरूर नहीं टिकता।।

नलिनतारकेश @उस्ताद 

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