Saturday, 7 December 2019

श्री राम जय राम

अनन्त गगन से विस्तारमयी एकमात्र श्री राम हैं।
यूँ देव तो अनेक हैं मगर ब्रह्म एकमात्र श्री राम हैं।। 
वाम में सुशोभित जगत-जननी,वैदेही विराजमान हैं।
लखन,भरत,रिपुदमन संग अजर-अमर हनुमान हैं।।
रूप,सौन्दर्य पर आपके शतकोटि मदन द्वारपाल हैं।
भाव-विरल ही नहीं भाव सजल भी एकमात्र आप हैं।।
साधु-सुशील,कुटिल-नीच सबके एक आस-विश्वास हैं।
समस्त-सृष्टि,रोम-रोम सिर्फ समाहित श्री सीता राम हैं।।
"तारकेश"महादेव के आप इष्ट रूप जगत विख्यात हैं।
भक्त समस्त निहार आपको"नलिन"सदृश निहाल हैं।।
@नलिन#तारकेश

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