Saturday, 14 December 2019

गज़ल:289-गरेबान अपने

गरेबान अपने झांकते रहिए।
खुद से नजरें मिलाते रहिए।।
ख्वाबे तामील में हो चाहे दूरी दरिया सी। 
आंखिरी सांस तक हौंसले से तैरते रहिए।। 
क्या-क्या कहा तेरे खिलाफ किस-किस ने।
बेवजह आप इस पर ना सर खपाते रहिए।।
दूरी हो चाहे लाख आपकी दिलदार से।
शबेरोज शिद्दत से बस पुकारते रहिए।।
रब तो बस जज़्बात का भूखा है "उस्ताद"।
दिल में बसा उसे रस्मे दुनिया निभाते रहिए।।
नलिन #उस्ताद

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