Sunday, 15 December 2019

290:गजल:इंद्रधनुषी काजल

इंद्रधनुषी काजल लगाते रहे।
काफिलों से अलग बढ़ते रहे।।
मस्ती की पायल हंसी फूलों सी।
जिंदगी का साथ यूँ निभाते रहे।।
अंधेरे तो मिले यूँ हमें हर मोड़ पर।
रोशनी से खुद की राह सजाते रहे।।
उससे मिलने की बेकरारी थी हमें।
सो खुद से भी राज ये छुपाते रहे।।
सुरमई है खुद में ये जिन्दगानी।
सो बेसुरे ही बेवजह कूकते रहे।।
बदनाम काफिर से चाहे"उस्ताद"हुए।
बुतपरस्ती से मगर रूबरू ख़ुद से होते रहे।।
@नलिन #उस्ताद

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