Friday, 6 December 2019

286:गजल-कैसे भला

कैसे भला बोकर बबूल गुलाब की खेती करोगे।
जिस्म की नुमाइश परोस कहाँ तुम नेकी करोगे।।
धन-पिपासु बनकर तुमने शर्म नैतिकता तो सब बेच दी।
दिखा अश्लील फिल्म/विज्ञापन तुम बस वसूली करोगे।। मर्यादा,संस्कार की जब भी अगर कोई दलील देगा। अभिव्यक्ति की आजादी बता कुठाराघात ही करोगे।। माफी,जमानत हर बात या बस सजा थोड़ी सी देकर। 
आँख पट्टी बाँध,सालों-साल सुनवाई की गलती करोगे।।
वर्दी से बेखौफ,गुंडे-मवाली हर गली जो आम दिख रहे।
लचर शासन-प्रशासन रहे अगर यूँ ही जबरदस्ती करोगे।।
खोह में घुसे रहोगे जब तलक खुद को महफूज समझ के। होंगे अनाचार तब तलक,प्रतिकार जब तक नहीं करोगे।।
जरा सोचो जंगलराज कब तक चलेगा आज के नए दौर में। 
"उस्ताद"कैसे कल्पना साकार तुम भला रामराज की करोगे।।
@नलिन#उस्ताद

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