Friday, 6 December 2019

285:गजल:कनखियों से देखा

कनखियों से देखा उसने मुझे तो बांवला हो गया। 
हर अदा उसकी जा-निसार*दिल ये मेरा हो गया।।*समर्पण 
कभी-कभार ही दिखा है बमुश्किल वो मुझे ख्वाब में। झलक से एक ही मगर प्यार का शुरू ककहरा* हो गया।।*वर्णमाला alphabet
जुगत कोई मालूम नहीं जिससे वो मुझे चाहने लगे।
हाँ जिसे उसने चाहा वो बस उसका अपना हो गया।।
हर आहट लगता है जैसे साँवला आ गया हो घर मेरे ।
रोज का ही मगर ये तो सिलसिला अब झूठा हो गया।।
स्वांग कर रहा था मैं तो महज यूँ ही उसका होने का।
खुदा जाने "उस्ताद" दिल ये कब उसका हो गया।।
@नलिन#उस्ताद

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