Monday, 22 September 2014

226 - साईं मेरे दिल के आँगन में




साईं मेरे दिल के आँगन में
आ कर तुम बस जाओ।
फूल बनो या शूल बनो
जो चाहो तुम हो जाओ।
फूल बनोगे तो बगिया मे
महक खूब महकेगी  तेरी।
शूल बनोगे यदि कही तो
माया जरा नहीं फटकेगी।
तीव्र गति से जीवन की गाडी
फिर मंजिल पर पहुंचेगी।
मैं भी खुश और तुम भी खुश
इस जीवन की सार्थकता होगी। 

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