Sunday, 14 September 2014

221 - हिंदी मेरे भारत की बिंदी



हिंदी मेरे भारत की बिंदी
हालत इसकी चिंदी-चिंदी।

राष्ट्रभाषा थी यह बनने वाली
अब तक इसका आसन खाली।

प्रेम,हज़ारी,नागर की तुलसी
पंत,प्रसाद के आँगन में हुलसी।

अमरबेल आ इससे जो लिपटी
एक दिवस में तभी तो सिमटी।

कायाकल्प कर सकती है हिंदी
तन-मन इसकी लगे जो हल्दी।

1 comment:

  1. हिंदी विश्व की तीसरी भाषा है जो सर्वाधिक प्रचलित है. अपने देश की भाषा में जो मिठास है वह अनय्त्र कहाँ !

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