Tuesday, 9 September 2014

217 - ग़ज़ल 37



क्या बात है तुझमे ऐसी  यार मेरे 
मैं तो भूलूँ पर न भूलें ख्वाब मेरे। 

जर्रा-जर्रा तेरी खुश्बू है पास मेरे 
दूर कहाँ तू तो है हर वक्त पास मेरे। 

फूल तेरे न जंचते हों चाहे शूल मेरे 
हर हालत बने रहना तू साथ मेरे। 

सुबह-शाम करता हूँ यही दुआ तुझसे 
दिखा दे  नूर अपना ओ "उस्ताद"मेरे।  

1 comment:

  1. साईं राम जपते रहिये भवसागर पार हो जायेगा !

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