Tuesday, 16 September 2014

224 - पूर्ण प्रकाश




पूर्ण प्रकाश हुआ जीवन में
गुरु जब आया मन-आँगन में
दिशा-विदिशा आलोकित जग में
नव प्रभात खिला जगत में
शीतल,मंद समीर बही मन में
इन्द्रधनुष जब बना गगन में
पुलकित अंग,पोर-पोर सुधा में
गुरु की चरण धूलि के रंग में। 

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