Sunday, 17 September 2023

587: ग़ज़ल: दिल को बहलाते हैं

भला कैसे कहें हम तुझे चाहते हैं। 
यहाँ जिसे देखो सब तेरे दीवाने हैं।।

पतंग जैसे उड़ाते दिख रहे नीले आसमान में।
तुझे लेकर हर कोई ख्याली पुलाव पकाते हैं।।

आंखों की कोर में नूरानी चमक आती है।
जब तुझे तेरा नाम लेकर यारब बुलाते हैं।।

सावन भादो बीत गए कोरे तो क्या ?
तेरे किस्से हमें आज भी रुलाते हैं।।

हर शख्स में देखकर बस तेरी तस्वीर।
दिल को यूँ हम उस्ताद बहलाते हैं।।

नलिनतारकेश@उस्ताद

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