Saturday, 16 September 2023

586:ग़ज़ल: मीठी रसीली जिन्दगी

मीठी,रसीली,जायकेदार कब तलक चलेगी जिंदगी।
कभी तीखी,चटपटी,छौंकी,भुनी तो रहेगी जिंदगी।।

आँखों में लगा ग्लिसरीन देखिए गम जताने आ गए हैं। अजब-गजब ये हमें किस मोड़ पर ले जा रही जिंदगी।। 

कुछ ज्यादा ही पढ़ लिखकर हम सुख़नफ़हम हो गए।
बगैर खाली ज़ेहन मगर कहाँ कुछ सिखाती जिंदगी।।

यूँ तो उसने खूब सराहा और दाद दी मेरी हर ग़ज़ल पर।
समझ उसे आई गहराई से भीतर,जब वो घटी जिन्दगी।।

अब भला कहो क्या चर्चा करे नाचीज "उस्ताद" उसकी। 
खुद ही बनाता,खुद ही बिगाड़ता,है जो सबकी जिंदगी।।  

नलिनतारकेश @उस्ताद

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