Wednesday, 10 April 2019

कहां रहते हो आजकल

कहां रहते हो आजकल
जनाब कुछ तो कहो हाल
इतने मशरूफ कहां हो?
जरा बताओ हमें भी तो यार।
दौलत-शोहरत तो कमा ली
पता है,तुमने अपार।
पर कहो हिम्मत कैसे करेगा
कोई भी तुमसे बात की सरकार।
तुमने तो चश्मा लगा लिया है
आंखों में अपनी घोड़े का चश्मा।
अब तुम्हें जरा भी नहीं भाता
एक पल को ठहरना/व्यथॆ गंवाना।
बस दौड़ते रहना,यहां से वहां
एक नया झंडा गाड़ आना।
झील,उपवन,पहाड़,चांद-सितारे
देखने की फुसॆत तुम्हारे पास कहां।
सो यही कहूंगा,खुदा के वास्ते
थोड़ा तो रहम खाओ,खुद पर
जहां-जहां झंडे गाड़े हैं तुमने
उस जमीं को भी तो जरा
चूम,थपथपा,सहला आओ।
वो दरअसल और कुछ नहीं,बस
आंचल की हवा करना चाहती है।
बहुत थक गए होगे सोचकर
तुम्हारा पसीना पोंछना चाहती है।
थोड़ी देर ही सही तुमसे प्यार से
बतियाना/लाड़-लड़ाना चाहती है।

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