Tuesday, 23 April 2019

126-गजल

लो उमर बढ़ने के साथ ही शबाब आ गया।
जो घटी तो फिर रब का जवाब आ गया।।
काली जुल्फों का जादू कुछ यूं समझिए जनाब।
असल में अब उनके पास नया खिजाब आ गया।।
सवालों पर मेरे था जो अचकचाया हुआ। 
लेकर जवाब वो मेरी ही किताब आ गया।।
जब से बना वो वजीरे आलम मुल्क का। तब से असल में यहां इंकलाब आ गया।।
खबर थी किसे बदलेगी किस्मत कुछ यूं।
कड़ी धूप वो लिए आज गुलाब आ गया।
जिस्म की झील में खिल गए हजारों नलिन*।*कमल
दिले आसमां जो खुदाई आफताब* आ गया।।*सूरज
रगड़ी जो एड़ियां"उस्ताद"अलैहीसलाम ने अपनी।
फजले खुदा रेत में जमजमे-आब* आ गया।।*मक्का का पवित्र पानी

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