Sunday, 21 April 2019

124-गजल

इश्क में तेरे अब ये मुकाम आ गया है।
जुबां हर सांस तेरा नाम आ गया है।।
सुबह है या शाम किसको भला होश है।
निगाहों में तेरा जबसे चेहरा आ गया है।।
तसव्वुर की बात नहीं हकीकत में।
मुझे आज तेरा पैगाम आ गया है।।
दुआ कबूल हुई जब इतनी जल्दी।
हाथों में लगा भरा जाम आ गया है।।
हैं कदम अपने सातवें आसमान आज तो।  लबालब प्यार का जो कलाम आ गया है।। दिखी जो तस्वीर दिले आईने में उनकी।
तबीयत को अपने आराम आ गया है।। "उस्ताद"चिराग ये अपना बेखौफ बुझ रहा।
नूरे सवाब का जो इसका ईनाम आ गया है।।

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