Wednesday, 10 April 2019

गजल-118 ख्वाबों के परिंदे

ख्वाबों के परिंदे तो ऊंची उड़ान भरते रहते।
लगते खूबसूरत अगर नीड़ भी सहेजते रहते।।
उजालों में ही नहीं कोई मिला साथ हमारे चलने वाला।
बता फिर किसे रात की चौखट याद करते रहते।।
आवारा बादल अपनी मस्ती में झूमते सदा।
है दिल करता जहां बस वहीं बरसते रहते।।
आसान रास्ते पर तो सभी चलते दिखें सुकूं में।
कीचड़ में भी मगर नलिन खिले दिखते रहते।।
यह दुनिया बड़ी बेगैरत बेवफा मशहूर है यार।
हौसला देखिए हम हैं मगर डोरे डालते रहते।।
तुम ना मिलो चाहे कभी प्यार भरी अंदाज से।
इंकार को भी हम तुम्हारे इकरार मानते रहते।।
हुस्नो जमाल तेरा गजब कमाल का है या खुदा।
सजदे बड़े-बड़े "उस्ताद"भी तुझे करते रहते।।

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