Saturday, 4 November 2017

सौ सुनार की

एक अन्य नया प्रयास है जिसमें हिंदी के मुहावरे और लोकोक्तियों के माध्यम से गजल कही गई है:

अन्धों के हाथ बटेर भी क्या खूब लग रहे। अंधो में काने राजा ही अब आलिम लग रहे।।

आग लगने पर खोदना कुआं आदत रही जिनकी।
का वर्षा जब कृषि सुखाने का फल भोग रहे।।

आकाश से गिर कर खजूर पर अटक गए जो।
हाल बेहाल उनके सांप छछुंदर की गति से लग रहे।।

नाच न जाने तो आंगन टेढ़ा  लगेगा ही उसे।
भला हाथ कंगन को आरसी क्या लग रहे।।

जिन ढूंढा तिन पाइंयाॅ गहरे पानी पैठ कर। नानक नाम जहाज चढ़ वो उतर पार लग रहे।।

आए थे हरि भजन और  ओटने कपास लगे। चिड़िया चुग गई खेत उनके हाल लग रहे हैं।।

सौ सुनार की एक लोहार की चोट करता है। खुदा के आगे"उस्ताद"सब तो बौने लग रहे।।

@नलिन #उस्ताद

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