Wednesday, 1 November 2017

गजल-93 रागों से सजी गजल

"भैरवी"जब झूमकर"मालकौंस"गाने लगी
"बसंत""बहार"सबके दिलों में छाने लगी।

"मेघ मल्हार"गाने लगे सब उमड़-घुमड़ के
"श्याम"संग राधा"चारुकेशी""हिंडोल"झूमाने लगी।

जो है "भवानी""शिवरंजनी"मूरत"शुद्ध कल्याण" की
"श्री""सरस्वती"उसका गुणगान कर भाव"सिंधु"डूबाने लगी।

अपने भीतर "हंसध्वनी" सुन ली जब "नारायणी"
"बैरागी"मस्ती दिलो-दिमाग "उस्ताद" छाने लगी ।

एक प्रयोग के तौर पर यह रचना संगीत के रागों को लेकर की गई है जिसमें "  "में रागों के नाम उल्लेखित हैं।

No comments:

Post a Comment