Friday, 3 November 2017

कस्तूरी भीतर महकाया करो

कस्तूरी भीतर महकाया करो।
इत्र फुलेल न लगाया करो।

गिड़गिड़ाने से भला क्या फायदा
खुद से राह बनाया करो।

हकीकत टूट जाए तो भी कभी
ख्वाब कुछ तो बचाया करो।

टकटकी लगा दूसरों को क्यों बाॅचना
नजीर खुद ही कभी बन जाया करो।

कुछ देर खुद में डूब कर जरा 
तुम राम-राम गाया करो।

गाली भी अपने"उस्ताद"की
गले तो खूब लगाया करो।

#नलिन #उस्ताद

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