Monday, 24 June 2024

६३१: ग़ज़ल: गजब किरदार है यार मेरा

गजब किरदार है यार मेरा बता हां या नहीं।
ग़ज़ल है उसपर जो कभी उसे पढ़ेगा नहीं।।

राहे उल्फत में कभी ये भी मुकाम है आता।
गिले का सबब जब कुछ भी रह जाता नहीं।।

तेरे बारे में न सोचें तो भला क्या करें बता।
ये माना कभी तू अब मेरा होने वाला नहीं।।

आईना देखकर ये सूरत अपनी संवार लीजिए।
हुजूर बेवजह आप इबादत को दूर जाइए नहीं।।

चलिए ऐसा भी करके देखते हैं आपके हिसाब से।
यूं ज़िन्दगी का गणित "उस्ताद" समझ आता नहीं।।

नलिन "उस्ताद"।

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