Tuesday, 4 June 2024

अयोध्या धाम में

पांच दशक पश्चात आ तो गए श्री राम अपने अयोध्या धाम में।
दशानन से मगर इस बार होकर आए पराजित अयोध्या धाम में।।

यहीं एक बार फिर अपनों ने निर्वासित कर दीं अपनी सीता जी। 
लव -कुश ने सुनाई राम कथा किन्तु कान‌ में जूं न रेंगी अयोध्या धाम में।।

रक्त बीज से असुर जन्म ले रहे असंख्य रक्त बहाकर अपना ही।
दशरथ तो लोक-लाज से मर गए यह दृश्य देख अयोध्या धाम में।।

एक बार हो जाएगी पुनः से साकार कल्पना चिरप्रतीक्षित राम राज की।
छिन्न भिन्न हुई मगर यह प्रतिघातों से अपनों के ही अयोध्या धाम में।।

जेठ का ताप उगल रहा है नख से शिख तक आग विनाशकारी बड़ी।
आख़िर राम भी विवश हो जल समाधि ले रहे आज अयोध्या धाम में।।

नलिन पान्डे "तारकेश"

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