Tuesday, 11 June 2024

625: ग़ज़ल: उसे जब यह पता है मेरे दिल में क्या है

उसे जब ये पता है मेरे दिल में क्या है।
जाने फिर क्यों पूछता मुझसे सदा है।।

दूरियां तो बढ़ी हैं दिलों में तभी अक्सर।
आपसी एतबार जब-जब कम हुआ है।।

बचपन से हुआ है भला कौन मवाली।
ये सब तो बिगड़ी सोहबत ने किया है।।

रास्ते मिलेंगे तो जाकर सब एक ही जगह।
बेमतलब फिर ये क्यों जड़े-फ़साद बना है।।

जिस्म,खूं,रूह से सजे-संवरे हम-तुम तुम सभी।
आखिर किस बात पर "उस्ताद"‌ फासला बढ़ा है।।

नलिन "उस्ताद"‌

No comments:

Post a Comment