Tuesday, 25 June 2024

६३५: ग़ज़ल: वो मेरा नहीं हो सका तो क्या हुआ

वो मेरा नहीं हो सका तो क्या हुआ।
तहे दिल से मैं तो उसका सदा हुआ।।

वैसे दिल से जो चाहो तुम किसी को।
तय है कभी न कभी तो वो तेरा हुआ।।

हर सांस बस उसका नाम जपता रहूं।
हां बस अब यही एक फर्ज मेरा हुआ।।

दूर आखिर कब‌ तलक रहेगा मुझसे।
ख़ालिस प्यार में भला कब ऐसा हुआ।।

"उस्ताद" तुम भला कब से हार मानने लगे। 
रंग निखरेगा वक्त अभी कहां ज्यादा हुआ।।

नलिन "उस्ताद"

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