Friday, 25 August 2023

570: ग़ज़ल:

चल दिए हैं लो हम सफर पर उससे मिलने।
जज्बात जोश मार रहे दिल में हजार हमारे।।

मौसम जो था कल तक रूखा बड़ा बेजान सा।
बदलकर हुआ कितना सुहाना बस एक दिन में।।

काले बादलों से घिरा हुआ है ये आसमां सारा।
होनी तय है बरसात जब उसको लगायेंगे गले।।

हरे-भरे दरख़्त सौंधी-सौंधी सी महक मिट्टी की।
कुदरत भी हमारे साथ बड़ी खुशगवार है दिखे।।

"उस्ताद" क्या खबर थी खैरमकदम यूँ होगा हमारा।
खड़े होंगे लोग हुजूम में हमें देने रंगबिरंगे गुलदस्ते।।

नलिनतारकेश @उस्ताद
नोट : रेल का नाम भी हमसफर है🤩

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