Saturday, 5 August 2023

555: ग़ज़ल: तो बेहतर है

दर्द अपने संग साथ ले बढ़ते चलो तो बेहतर है। 
 इनसे खुद को हर हाल तराश लो तो बेहतर है।।

हवाओं का रुख अपने हाथ में तो होता नहीं किसी के। पतवार उसके भरोसे भी कभी छोड़ देखो तो बेहतर है।। 

कोई भला क्यों दिखा सके हरेक बात पर आईना।  
तस्वीर अपनी खुद से खूबसूरत गढ़ो तो बेहतर है।।

जैसा भी मिला है तुम्हारा नसीब वो यूंही नहीं मिला है।
जो हैं खामियां अपनी सुधार आगे सको तो बेहतर है।।

"उस्ताद" जमाना तो करवट बदल रंग दिखाइएगा ही।
लेकर इन्हीं रंगों को कायनात नई रचा दो तो बेहतर है।।

नलिनतारकेश@उस्ताद

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