Sunday, 6 August 2023

556: ग़ज़ल: लफ्ज गूंगे हो पड़े(मित्रता दिवस की बधाई )

मित्रता दिवस की सबको बधाई 
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सांसों में खुशबू घुली है इस कदर मेरे यार की।
न सही करीब में,नशातारी चढ़ी है मेरे यार की।। 

बस एक बार ही तो निगाहों से मिली थीं निगाहें।
भूलती कहाँ गुलाबी यादें जो रही हैं मेरे यार की।।

घर से निकले तो बस उसकी चौखट पर सजदे को।
यूँ दिल में तस्वीर तो बस एक रहती है मेरे यार की।।

न वो कुछ कहते हैं न हमें ही कुछ होश बाकी रहा। 
बस एक दीवानगी चारों तरफ पसरी है मेरे यार की।।

लफ्ज़ गूंगे हो पड़े हैं सारे के सारे हाशिए में देखो। 
"उस्ताद" बस बलैया हमने ले ली है मेरे यार की।।

नलिनतारकेश @उस्ताद

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