Sunday, 20 August 2023

566: ग़ज़ल: हमने किया

अमीर होने की अपनी हसरत को यारब पूरा ऐसे किया।
पांच सौ के नोट भुना उसे तब्दील सौ के पांच में किया।। 

देना तो पड़ता है दिल को दिलासा हर हाल में जैसे-तैसे।
टूटे न कहीं डोर अपनी उम्मीद की सो ऐसा हमने किया।।

जद्दोजहद का रेगिस्तान फैला है मीलों दूर तक खौलता। नंगे पांव चलने का हौसला हमने तब भी बेखटके किया।। 

हकीकत से रूबरू हो तो पता भी चले आटे-दाल का भाव।  
सोने की चम्मच से निगला निवाला तो कैसे आपने किया।। 

"उस्ताद" उठे हूक सी दिल में पस-मंजर आज का देखकर। 
या खुदा ये हाल दुनिया का खुद से ही क्यों भला हमने किया।।

नलिनतारकेश @उस्ताद

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