Thursday, 1 December 2022

482:ग़ज़ल हमें क्या हम तो

जो हुआ सो हुआ चलो सब कुछ भूल जाएं।
गुलशन में फिर से बहारों के नए गीत गाएं।।

मौसम ए मिजाज तो है बदलना,कभी गरम कभी ठंडा।   

हालात हो बदतर तो भी हौंसला भला क्योंकर गवाएं।। 

इश्क है आसां नहीं निभाना गालिब भी जब कह गए।
 आओ पतंगा बन उम्मीद ए रोशनी में चलकर नहाएं।।

किस्मत की लकीरें जो लिखना चाहें हर कदम वो लिखें।
हमें क्या हम तो तूफानों को बस जा गले अपने लगाएं।।

दिल तो नाजुक से है टूटता है कई बार हालात बिगड़ने से। 
"उस्ताद" ए फन तो यही है हम हर बार मुस्कुराते नजर आएं।।

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