Monday 26 December 2022

494:ग़ज़ल:दुनिया के मसाइल से हटकर

जिंदगी को अपनी पूरे सुकूं से गुजारिए हुजूर।
दिमाग बस मतलब भर का ही लगाइए हुजूर।।

रंजो-गम है यहाँ हम सब के पास नसीब के।
कुछ देना ही चाहें तो खुशियां बांटिए हुजूर।।

बढ़ा तो रहे हैं कुछ कदम हम तेरे कूचे की तरफ। 
कुछ आप भी तो इनायत हम पर कीजिए हुजूर।।

हवा में कलाबाजी खाते परिंदे बेखौफ,बेफिक्र दिखते। 
कभी यूँ आप भी जरा अपना हौसला दिखाइए हुजूर।। 

कौन है वो जो चलाता है "उस्ताद" सारी कायनात को। दुनिया के मसाइल से हटकर कभी ये भी सोचिए हुजूर।।

नलिनतारकेश @उस्ताद

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