Saturday, 30 November 2019

281:गजल-अपने हैं जो भी

अपने हैं जो भी,लग रहे अजनबी सभी।
नाचते लग रहे,जैसे बेगानी शादी सभी।।
खुद का ही होश नहीं रहा यहाँ तो किसी को।
अब तो देखो हैं झूम रहे बन के शराबी सभी।।
जिगरा ही नहीं बिके हुए निभाएं कैसे वफादारी। 
लो हुई बातें ईमान की आजकल बेईमानी सभी।।
कसौटी पर कस के कहें सच तो भी हम झूठे।
कहें मगर आप तो जायज हैं बातें झूठी सभी।।
"उस्ताद" कौन और भला कौन शागिर्द कहो तो।
तौले जा रहे अब यहाँ एक भाव रेत,मोती सभी।।
@नलिन#उस्ताद

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