Saturday, 16 November 2019

271:गजल-ख्वाब में भी दिखते रहो

ख्वाब में भी  दिखते रहो तुम तो गनीमत है।
वरना तो ये जिंदगी बस एक जहालत* है।।*अज्ञानता 
हकीकत से रूबरू होना तेरी ही बस इनायत है।
सच तो ये कि होती नहीं कोई ऐसी इबादत है।।
बातें हवा में शेखचिल्ली सी चाहे जितनी बना लें। 
हमको कहाँ पल भर भी रहती ज़रा तेरी हसरत है।।
कूचा-कूचा हर शय जलवा ए कारीगरी। 
भरती हर अदा तेरी हममें बड़ी हैरत है।।
आँखें लड़ाने की सोचना उस आफताब से। 
बड़ी बचकानी भरी बेजा ये तेरी हरकत है।। 
दुनियावी रंगीनियां हर कदम भरमाती रहेंगी ताउम्र ।
भूलना न उसे कभी वरना तो"उस्ताद"फजीहत है।।
@नलिन#उस्ताद

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