Wednesday, 27 November 2019

278-गज़ल:तौबा-तौबा हम लिखते क्या हैं

तौबा-तौबा हम लिखते क्या हैं लोग समझते क्या-क्या हैं।
अपने-अपने आईने से दुनियावाले हमें आंकते क्या-क्या हैं।।
सोचते हैं अब न कहें किसी से कुछ भी अब तो कसम से।
यहाँ तो हर लफ्ज़ पर लोग अफवाह उड़ाते क्या-क्या  हैं।।
चलो खैर ये भी ठीक है यूँ कुछ काम तो मिल गया इनको।
वरना तो जुल्म की इन्तेहा इनके खुदा जाने क्या-क्या हैं।।
इस बहाने दुनिया में चलो हमारे भी चर्चे तो हो रहे। 
ये अलग बात कि इल्जाम लोग मढते क्या-क्या हैं।।
वक्त ही नाजुक है बड़ा सवालों में आ रहे"उस्ताद"सब।
बस तमाशा है सितारों का देखिए लिखते क्या-क्या हैं।।
@नलिन#उस्ताद

No comments:

Post a Comment